ये धरा है पावन कर्म बनकर सत्कर्म धर्म के पथ पर तू बनकर आदर्श बढ़ चल तू बढ़ चल। ये धरा है पावन कर्म बनकर सत्कर्म धर्म के पथ पर तू बनकर आदर्श बढ़ चल...
उफ! अब ये चाँद क्यों उदास है? शायद इसको मिलन की पिपास है उत्सुकता है उस की इसे इसलिए व्यग्र है और... उफ! अब ये चाँद क्यों उदास है? शायद इसको मिलन की पिपास है उत्सुकता है उस की इसे...
रहती नहीं है खुद की खबर लेकिन दूसरों की बुराई करने में, आज का इंसान कितना माहिर रहती नहीं है खुद की खबर लेकिन दूसरों की बुराई करने में, आज का इंसान कितन...
वृक्ष अगर ना काटे होते, दो-चार ही सही लगाए होते l वृक्ष अगर ना काटे होते, दो-चार ही सही लगाए होते l
जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।